लाइट और म्यूजिक से यहां लोग पढ़ रहे अपनी फीलिंग्स

लाइट शो से समझा रहीं आर्ट की लैंग्वेज: नमिशा ने बताया, अक्सर हम साउंड और लाइट को देख पाते हैं लेकिन उसके भीतर के इमोशन को नहीं, लेकिन इस टेक्निक से आप लाइट के कलर, म्यूजिक और साउंड से फीलिंग्स को समझ पाते हैं। यह पूरा साउंड मिलकर विजुआलाइज होता है। इन्वॉल्वमेंट इसकी बेस थीम है क्योंकि यह टेक्निक खुद से इंट्रेक्टिव कराती है। इसमें इंपोर्टेड प्लास्टिक बॅाल्स के अलावा कुछ और भी इक्यूपमेंटस हैं जिन्हें उछालकर और फिंगर टच पता चल जाता है कि आपके इमोशन कैसे हैं। अगर टच धीमा होगा तो हल्की लाइट अाैर हल्का म्यूजिक व टच हार्ड होगा तो म्यूजिक व लाइट लाऊड होंगी। इससे एक्सप्रेशन और फीलिंग्स देखी जा सकती है। इस टेक्निक व प्रोग्रामिंग मैनेजमेंट से व्यक्ति पल भर में सब कुछ भूल जाता है और यह एक अलग दुनिया महसूस होती है जो बाहरी दुनिया से डिफरेंट है। ये इंट्रेक्टिव बॉल्स हैं जो लाइटिंग के साथ स्ट्रेस को रिमूव करती हैं और व्यक्ति खुद में खुश रहना सीखता है।


हम चाहे कुछ भी करें, मूवी देखें या फन करें लेकिन बाहर की दुनिया की बातें दिमाग में चलती ही रहती है और हम कभी भी फुल एंजॉय कभी नहीं कर पाते। लेकिन अगर आप रावण का चबूतरा मैदान में चल रहे हस्तशिल्प उत्सव में एक डोम में हो रहे लाइट इंट्रीगेशन शो में हिस्सा लेंगे तो न केवल बाहरी दुनिया की परेशानियों से दूर खुलकर एंजॉय कर सकेंगे बल्कि मन के भावों को भी पढ़ सकेंगे। भारत में इस तरह का लाइट इंटीग्रेशन शो पहली बार हो रहा है। यह डोम समुद्र की थीम पर है जिसे रेडियम कॉलोर से निर्मित समुद्री जीव-जंतु, पेड़-पौधे और सी लुक की पेंटिंग्स से तैयार किया है। यहां यूवी लाइट्स से लाइट इफेक्ट्स दिए गए हैं। इस डोम का निर्माण निमिषा और नेहल बोथरा ने किया है जिनका उद्देश्य है भारत में भी लाइट इफेक्ट टेक्नोलॉजी को प्रमोट करना। इसे वे अपनी कंपनी डी-ट्रोव यानी डिजाइन ऑफ ब्यूटीफुल लाइट विजन से पूरा कर रही हैं। बोथरा सिस्टर्स ने बताया कि आर्ट को सिर्फ देखा जा सकता है लेकिन इस टेक्निक से आर्ट को इंप्रेसिव बनाकर भावों को देखा और महसूस भी किया जा सकता है। लोग इस डोम के अंदर जाते ही मानो बाहरी दुनिया के स्ट्रेस और टेंशन को भूल रहे हैं। नेहल ने बताया, दरअसल यह टेक्निक यूरोप की है। वहां बहुत से ऐसे फेस्टिवल होते हैं जिनमें इस प्रकार के लाइटिंग शो होते हैं। लंदन में आईटी मैनेजमेंट और मैनेजमेंट एंड फाइनेंस की पढ़ाई करने के दाैरान हमें दो साल यूरोप घूमने का मौका मिला। वहां ऐसे मैजिकल लाइट शो देखे जो बड़ों को भी बचपन की यादों में ले जाते हैं। तब साेचा कि क्याें न इस टेक्नोलाॅजी काे अपने देश भारत भी ले आएं।