यदि लगातार छह महीने तक फर्म का जीएसटी रिटर्न 3बी नहीं भरा, तो रजिस्ट्रेशन होगा। इसके बाद 30 दिन के भीतर बकाया टैक्स जमा करवाने वाली फर्म का रजिस्ट्रेशन बहाल हो सकता है, लेकिन इसमें लापरवाही बरती, तो रजिस्ट्रेशन हमेशा के लिए रद्द हो जाएगा। ऐसी स्थिति में कारोबार कर पाना संभव नहीं होगा। प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए टैक्स प्रोफेशनल्स को कुछ ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारी दी टैक्स एक्सपर्ट्स ने। मौका था डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज सभागार में दो दिवसीय नेशनल टैक्स कॉन्फ्रेंस-2020 का। एक्सपर्ट पैनलिस्ट सीए केशव मालू, सीए वीरेंद्र परवाल और सूर्यनगरी के विशेषज्ञ सीए डॉ. अर्पित हल्दिया ने कार्यक्रम में पहुंचे टैक्स प्रैक्टिशनर्स के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि गत वर्ष 9 अक्टूबर से आईटीसी से संबंधित प्रावधानों में कई बदलाव हुए हैं। इसके तहत टैक्सपेयर को अधिकतम क्रेडिट जीएसटीआर-2ए में दिखने वाली योग्य क्रेडिट का 120 प्रतिशत अथवा बुक्स ऑफ अकाउंट में दर्शायी आईटीसी, जो भी कम हो, मिलेगी। 120 प्रतिशत की लिमिट भी जनवरी 2020 से 110 प्रतिशत हो गई है। ऐसे में टैक्सपेयर व सप्लायर भी जीएसटीआर-1 समय पर भरे। जिन्होंने जुलाई-2017-18 से लेकर अब तक अपने जीएसटीआर-1 फाइल नहीं किए हैं, वे 10 जनवरी 2020 तक भी यदि अपना रिटर्न भरते हैं, तो उन्हें कोई लेट फीस नहीं देनी पड़ेगी।
अफोर्डेबल हाउसिंग के अलावा अन्य स्कीम पर टैक्स रेट 5%: सीए रोहिणी
सीए रोहिणी अग्रवाल ने कहा कि रियल एस्टेट क्षेत्र को बूस्ट करने के लिए सरकार ने गत वर्ष टैक्स रेट्स में बदलाव कर अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम पर टैक्स 1% और अन्य स्कीम पर 5% किया था। इसमें सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि टैक्स रेट 1% हो या 5%, लेकिन बिल्डर्स आईटीसी का फायदा नहीं ले सकते हैं। जैसलमेर कलेक्टर सीए नमित मेहता की अध्यक्षता में संपन्न पहले सत्र में सीए अग्रवाल ने उड़ीसा हाईकोर्ट के निर्णय का जिक्र करते हुए बताया कि अचल संपत्ति के निर्माण पर लिए गए टैक्स क्रेडिट भी रेंटल इनकम पर लगने वाले आउटपुट टैक्स के विरुद्ध मिल सकता है। हालांकि ये निर्णय फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। अध्यक्षता करतेे सीए मेहता ने कहा कि टैक्स प्रैक्टिशनर्स सरकार और टैक्स पेयर्स के बीच सेतु का काम करते हैं।
कंपनी लॉ की अनदेखी के दुष्परिणाम घातक, सावधानी जरूरी : सीए फड़नीस
आईसीएआई के पूर्व अध्यक्ष सीए मनोज फड़नीस ने कंपनी लॉ से जुड़े पहलुओं पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनी अधिनियम के किसी भी सेक्शन का उल्लंघन कारोबारी पर भारी पड़ सकता है। इसके लिए जरूरी है कि वे स्वयं और टैक्स प्रैक्टिशनर्स कंपनी लॉ के नियमों की पालना समयबद्ध तरीके से करते रहें। फड़नीस की अध्यक्षता में संपन्न सत्र में सीए निपुन सिंघवी ने कॉस्ट ऑफ नाॅन-कम्प्लायंस अंडर कंपनीज एक्ट व इन्सोलवेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड विषय पर नए कानून की बारीकियां समझाईं। सीए प्रतीक जैन की अध्यक्षता में संपन्न दूसरे सत्र में सीए गजेंद्र माहेश्वरी ने सप्लाई व सर्विस परिभाषा समझाई।
लगातार छह महीने रिटर्न नहीं भरा तो रद्द होगा रजिस्ट्रेशन, इसके 30 दिन में बकाया टैक्स जमा करवाने पर ही हो सकेगा बहाल